Meditation In Hindi : ध्यान से बदलिए अपना जीवन
ध्यान : Meditation
जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने और तनावमुक्त रहने का सबसे
सरल एंव उपयोगी तरीका ध्यान या Meditation ही है| जानिए क्यों और कैसे केवल
20 मिनट का ध्यान या Meditation हमारी जिंदगी बदल सकता है|
Meditation : Hear You Inner Voice
Meditation या ध्यान, स्वंय से बात करने की विधि है|
मैंने पहले भी अपने लेख “The Secret of Life in Hindi – जीवन का रहस्य” में
लिखा है कि हर मनुष्य के अन्दर एक शांत मनुष्य रहता है जिसे हम अंतरात्मा
कहते है| हमारी अंतरात्मा हमेशा सही होती है और इसीलिए शायद यह कहा जाता है
कि हम ईश्वर का अंश है| सभी महान लोगों ने यह स्वीकार किया है कि
अंतरात्मा की आवाज ईश्वर की आवाज है और यह बात किसी धर्म विशेष से सम्बंधित
नहीं है|
खुश रहने का सीधा सा तरीका यह
होता है कि हम अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें क्योंकि हमारी अंतरात्मा हमेशा
हर परिस्थिति में सही होती है
हम जब कभी भी कुछ बुरा कर रहे
होते है तो हमें कुछ अजीब सा लगता है मानो कोई हमें यह कह रहा हो कि वह
बुरा काम मत करो| यह हमारी अंतरात्मा होती है जो हमें कुछ बुरा करने या
किसी को दुःख पहुँचाने से रोकती है| और जब हम अपनी अंतरात्मा की आवाज को
अनसुना कर देते है तो हमारा अपनी अंतरात्मा से संपर्क कमजोर हो जाता है|
जब हम दूसरी बार कुछ बुरा करने
जा रहे होते है तो हमें अपनी अंतरात्मा की आवाज फिर महसूस होती है लेकिन इस
बार वह आवाज इतनी मजबूत नहीं होती क्योंकि हमारा अपनी अंतरात्मा से संपर्क
कमजोर हो चुका होता है|
जैसे जैसे हम अपनी अंतरात्मा की
आवाज को अनसुना करते जाते है वैसे वैसे हमारा अपनी अंतरात्मा के साथ संपर्क
कमजोर होता जाता है और एक दिन ऐसा आता है कि हमें वो आवाज बिल्कुल नहीं
सुनाई देती|
जैसे जैसे हमारा अपनी अंतरात्मा
के साथ संपर्क कमजोर होता जाता है वैसे वैसे हम उदास रहने लगते है और
खुशियाँ भौतिक वस्तुओं में ढूंढने लगते है| हम समस्याओं को हल करने में
असक्षम हो जाते है जिससे “तनाव” हमारा हमसफ़र बन जाता है|
और ऐसी परिस्थिति में हमें स्वंय को वापस अपनी अंतरात्मा के साथ जोड़ना होता है और इसका सबसे अच्छा तरीका ध्यान या मैडिटेशन है|
Meditation – Technique of Self Control and Self Realization
जैसे जैसे हमें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनाई देना बंद होती है वैसे
वैसे हमारा स्वंय पर नियंत्रण नहीं रहता और हम सही गलत को पहचानना नहीं
पाते| ऐसी स्थिति मैं हम खुद को नियंत्रित नहीं करते बल्कि परिस्थितियां
हमें नियंत्रित करती है| हम वो करने लगते है जो आलस्य, डर, तनाव, लालच,
क्रोध, घमंड और इर्ष्या हमसे करवाते है|
मैडिटेशन खुद पर नियंत्रित रखने एंव Self Realization की एक पद्धति है
जो हमारी जिंदगी को आसान एंव खुशमय बनाता है| मैडिटेशन से हमारा
आत्मविश्वास और Concentration बढ़ता है जिससे हमारा समस्याओं के प्रति
नजरिया बदल जाता है| हम समस्याओं को रचनात्मक तरीकों से बड़ी आसानी हल कर
पाते है जिससे तनाव कम होता है|
Meditation: Connect With God
सभी महान लोगों ने यह माना है कि हमारी अंतरात्मा में एक अद्भुत शक्ति
होती है | हम भी कभी कभी महसूस करते है कि शायद हमारी अंतरात्मा एक ईश्वरीय
अंश है या फिर हमारी अंतरात्मा ईश्वर से हमेशा जुड़ी रहती है तभी तो वो हर
परिस्थिति में सही होती है|
स्वामी विवेकानंद ने कहा है –
“आप ईश्वर में तब तक विश्वास नहीं कर पाएंगे जब तक आप अपने आप में विश्वास नहीं करते|”
इसलिए ईश्वर से जुड़ने से पहले हमें अपनी अंतरात्मा से जुड़ना होता है या
यूं कहें कि जब हम अपनी अंतरात्मा से जुड़ जाते है तो उस अद्भुत ईश्वरीय
शक्ति से स्वत: ही जुड़ जाते है और मैडिटेशन हमें अपनी अंतरात्मा से जोड़ता
है|
लगातार रोज मैडिटेशन करने पर हमें अद्भुत अनुभव होने लगते है जिसे
शब्दों द्वारा नहीं बताया जा सकता| हमें उन सवालों के जवाब मिलने लगते है
जो अभी तक अनसुलझे थे| हमें ऐसा लगता है जैसे हमारे साथ एक शक्ति है जो
हमेशा हमारी मदद करेगी|
Healing Power of Meditation: Happiness Unlimited
मन को शांत करने के लिए प्रयास करने की नहीं बल्कि प्रयास छोड़ने जरूरत होती है और यही ध्यान का उद्देश्य होता है|
मैडिटेशन मन की एक सहज अवस्था है जिससे हमारे भीतर का खालीपन दूर होता
है| यह हमारी जिंदगी को बदल देता जिससे हम भौतिक वस्तुओं में खुशियाँ
ढूँढना छोड़कर खुश रहना सीख जाते है| हमारे जीवन का हर पल खुशनुमा हो जाता
है और हम वर्तमान में जीना सीख जाते है|
जब हमारा मन शांत एंव संतुष्ट होता है तो हमारा Concentration बढता है
जिससे हम समस्याओं को बेहतर तरीके से हल कर पाते है और उन्ही समस्याओं में
हमें संभावनाएं दिखने लगती है|
Healing Therapy: Meditation Can Cure Diseases
यह कहा जाता है कि ज्यादातर रोगों का कारण चिंता या तनाव (Stress) होता
है| ध्यान के माध्यम से हम मन को सकारात्मक एंव तनावमुक्त बना सकते है
जिससे की सकारात्मक उर्जा हमारे शरीर हमारे शरीर में प्रवेश करती है और
हमारा शरीर स्वस्थ बनता है|
शोध में यह बात सामने आयी है कि Meditation और Healing Power कैंसर समेत
कई रोगों में लाभकारी है और मैडिटेशन से कई तरह के रोगों को दूर किया जा
सकता है क्योंकि ज्यादातर रोग Stress or Anxiety की वजह से होते है और
मैडिटेशन Stress or Tension को दूर करता है|
Mind Power in Hindi – अवचेतन मन की शक्ति
Power of Subconscious Mind
हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए यह अति आवश्यक है कि हम यह समझें कि हमारा मन कैसे कार्य करता है – How Our Mind Works, चेतन और अवचेतन मन क्या है – What is Conscious and Subconscious Mind और कैसे हम मन की शक्ति को समझकर अपने जीवन को बेहतर बना सकते है – Understanding Power of Mind.
Psychology: Mind Power
मनोविज्ञान (Psychology) में मनुष्य के मन को अलग अलग भागों में के रूप
में देखते है| मुख्य रूप से मन को दो भागों – चेतन मन एंव अवचेतन मन के रूप
में बाँटा गया है|
चेतन या अवचेतन मन का विभाजन कोई वास्तविक भौतिक आधार पर नहीं किया जाता
बल्कि यह तो एक मनोविज्ञान की अवधारणा है या मन की अवस्थाएँ है|
इस अवधारणा को समझकर हम अपने जीवन में एक बड़ा परिवर्तन ला सकते है|
Subconscious Mind
चेतन मन हमारी चेतन या सक्रिय (Active) अवस्था है, जिसमें हम सोच विचार और तर्क के आधार पर निर्णय लेते है या कोई कार्य करते है|
अवचेतन मन एक Storage Room की तरह है, जो हमारे सभी विचारों, अनुभवों,
धारणाओं आदि को Store (संग्रहित) करता है| अवचेतन मन (Subconscious Mind)
तर्क एंव सोच विचार के निर्णय नहीं लेता बल्कि यह हमारे पिछले अनुभवों एंव
धारणाओं के आधार पर स्वचालित तरीके से कार्य करता है|
चेतन मन और अवचेतन मन को एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है –
जब भी कोई व्यक्ति पहली बार
साईकिल चलाना सीख रहा होता है, तो उसे साईकिल को ध्यानपूर्वक नियंत्रित
करना होता है| शुरुआत में वह संतुलन नहीं बना पाता और थोड़ा डरा हुआ भी रहता
है|
लेकिन कुछ दिनों बाद जब वह
साईकिल चलाना सीख जाता है तो अब उसे साइकिल को नियंत्रित करने के बारे में
सोचने की भी आवश्यकता नहीं होती| अब साइकिल अपने आप नियंत्रित हो जाती है
और अब तो वह मित्रों के साथ बातचीत करते हुए या कोई और कार्य करते हुए भी
साइकिल चला सकता है|
ऐसा क्यों होता है ?????
Subconscious Mind – Autopilot System
शुरुआत में जब व्यक्ति पहली बार साइकिल चलाना सीख रहा होता है तो वह अपना “चेतन मन (Conscious Mind)” इस्तेमाल कर रहा होता है| लेकिन जब वह बार-बार साइकिल चलाने की प्रैक्टिस करता है, तो अब यह अनुभव उसके अवचेतन मन में संग्रहित (Store) होने शुरू जाते है और धीरे धीरे अवचेतन मन, चेतन मन की जगह ले लेता है|
हमारा अवचेतन मन एक ऑटोपायलट सिस्टम (Autopilot System) की तरह है जो अपने आप स्वचालित तरीके से कार्य करता है|
सभी स्वचालित कार्यों जैसे साँस लेना, दिल धड़कना आदि कार्य अवचेतन मन के
द्वारा ही किए जाते है| हमारी आदतें एंव रोजमर्रा के सभी कार्यों में
अवचेतन मन का महत्वपूर्ण योगदान होता है|
How Mind Works
अवचेतन मन एक सॉफ्टवेयर या रोबोट की तरह है,
जिसकी प्रोग्रामिंग चेतन मन द्वारा की जाती है| अवचेतन मन एक रोबोट की तरह
है जो स्वंय कुछ अच्छा बुरा सोच नहीं सकता, वो तो केवल पहले से की गई
प्रोग्रामिंग के अनुसार स्वचालित तरीके से कार्य करता है|
हमारे हर एक विचार का हमारे
अवचेतन मन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है या यह कह सकते है कि हम जो कुछ भी
सोचते है या करते है उससे हमारे अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग होती जाती है और
फिर बाद में धीरे धीरे अवचेतन मन उस कार्य को नियंत्रित करने लगता है|
हमारी आदतों और धारणाओं का निर्माण भी ऐसे ही होता है और बाद में वह आदत स्वचालित रूप से अवचेतन मन के द्वारा नियंत्रित होती है|
How to Program our Subconscious Mind
यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग कैसे
करते है| एक बार प्रोग्रामिंग हो जाने के बाद अवचेतन मन उसी के अनुसार
कार्य करने लगता है – चाहे वह कार्य गलत हो या सही|
चेतन मन (Conscious Mind) को विचारों का
चौकीदार या गेटकीपर भी कहा जा सकता है| दरअसल हमारा हर विचार एक बीज की तरह
है और हमारा अवचेतन मन एक बगीचे की तरह है| हमारा चेतन मन यह निर्णय करता
है कि अवचेतन मन में कौनसा बीज बौना है और कौनसा नहीं|
हम कभी कभी अनजाने में अपने अवचेतन मन की गलत प्रोग्रामिंग कर देते है –
जैसे अगर मैं यह सोचता हूँ आज मैं यह लेख नहीं लिखूंगा तो यह छोटा सा
विचार धीरे धीरे मेरे कार्य को कल पर टालने की आदत बन सकता है|
गहन चिंतन और मैडिटेशन के द्वारा
हम अवचेतन मन की Reprogramming करके इसमें इन्स्टाल किए हुए गलत सॉफ्टवेयर
को धीरे-धीरे डिलीट कर सकते है|
हमारे जीवन के एक महत्वपूर्ण
भाग को “अवचेतन मन” नाम का रोबोट नियंत्रित करता है और यह रोबोट, चेतन मन
द्वारा की गयी प्रोग्रामिंग से नियंत्रित होता है| इस रोबोट की
प्रोग्रामिंग विचार रुपी बीज से होती है, इसलिए सफलता इस बात पर निर्भर
करती है कि हम कौनसे विचार चुनते है और अपने अवचेतन मन में किस तरह के
सॉफ्टवेयर इंस्टाल करते है|
The Cockroach Theory by Sundar Pichai – Motivational Story in Hindi
Motivational Story by Google CEO Sundar Pichai
आज मैं एक शानदार Motivational Hindi Story प्रकाशित कर रहा हूँ जो कि गूगल के सीईओ सुन्दर पिचाई (Sundar Pichai – Google CEO) ने अपनी एक Motivational Speech में कही थी| Sundar Pichai ने 2004 में गूगल को ज्वाइन किया और आज वे भारतीय युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गए है|
उनके द्वारा कही गयी यह Motivational Story मैं हिंदी में प्रकाशित कर रहा हूँ :
Motivational Hindi Story
The Cockroach Theory – By Sundar Pichai
“एक बार एक रेस्टोरेंट में एक कॉकरोच (तिलचिट्टा) कही से उड़कर एक महिला
पर जा गिरा| वह महिला डर के मारे चिल्लाने लगी और इधर उधर उछलने लगी| उसका
चेहरा कॉकरोच के आतंक से भयभित था और वह किसी भी तरह से कॉकरोच से छुटकारा
पाने का प्रयास कर रही थी| और आख़िरकार वह कॉकरोच से पीछा छुड़ाने में कामयाब
रही|
लेकिन वह कॉकरोच पास बैठी महिला पर जा गिरा और अब वह भी उसी तरह
चिल्लाने लगी| एक वेटर महिला को कॉकरोच से बचाने के लिए आगे बढ़ा तभी वह
कॉकरोच उस वेटर पर जा गिरा|
वेटर ने बड़े शांत तरीके से अपनी कमीज पर उस कॉकरोच के स्वभाव को देखा और
फिर धीरे से उसे अपने हाथों से पकड़कर रेस्टोरेंट के बाहर फेंक दिया|
मैं इस मनोरंजन को देख रहा था और कॉफ़ी पी रहा था तभी मेरे मन के एंटीना
पर कुछ विचार आने लगे कि क्या उन दो महिलाओं के इस भयानक व्यवहार एंव
अशांति के लिए वो कॉकरोच जिम्मेदार था ?? अगर ऐसा था तो उस कॉकरोच ने वेटर
को अशांत क्यों नहीं किया? उसने बड़े शांत तरीके से कॉकरोच को दूर कर दिया|
महिलाओं की अशांति का कारण वो कॉकरोच नहीं था बल्कि कॉकरोच से निपटने की असक्षमता उनकी अशांति की असली वजह थी|
मैंने महसूस किया कि मेरे पिता
या मेरे बॉस की डांट मेरी अशांति का कारण नहीं है बल्कि उस डांट को संभालने
की मेरी असक्षमता ही मेरी अशांति का कारण है|
मेरी अशांति का कारण ट्रैफिक जाम
नहीं बल्कि उस ट्रैफिक से होने वाली परेशानी को सँभालने की मेरी असक्षमता
ही मेरी अशांति का कारण है|
हमारे जीवन में अशांति का कारण समस्याएँ नहीं बल्कि अशांति का कारण समस्याओं के प्रति हमारा व्यवहार होता है|
‘ध्यान’– क्यों और कैसे
आज
योग और ध्यान (Meditation) बहुत ही सामान्य शब्द हो गए हैं । हम सभी इससे
भली भांति परिचित हैं और हममें से काफी लोग योग करते भी है । टी.वी. और
इंटरनेट ने इसमें काफी सहायता की है । पर अक्सर यही देखने मे आता है कि हम
इसकी शुरुआत तो जोर-शोर से करते हैं पर धीरे-धीरे इस उत्साह में कमी होती
जाती है ओर हम इसे त्याग
कर
सुबह की सैर, दौड़, जिम जाना आदि शुरु कर देते है, जिसमें थोड़ा नयापन और
आधुनिकता से जुड़ाव महसूस होता है । आमतौर पर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम
ध्यान करते समय बोरियत का अनुभव करने लगते हैं, बोरियत इसलिए क्योंकि कुछ
नया नहीं, कुछ रोचक नहीं, कुछ मसालेदार नही । पर यकीन मानिए इससे रोचक,
मजेदार और अभूतपूर्व उल्लास आपको कहीं नहीं मिल सकता, बशर्ते आपको पता हो
कि करना क्या है, और कैसे है । ध्यान लगाने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि
आपका शरीर बेजान या मृत हो गया है जैसे नींद में होता है। यह ध्यातव्य है –
“निद्रा अचेतन ध्यान है और ध्यान सचेतन निद्रा (Sleep is unconscious
meditation and meditation is conscious sleep)।”
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम सब
खुशियों के पीछे भाग रहे हैं । एक विद्यार्थी अच्छें नंबरों से पास होने के
लिए चिंतित रहता है, वह पास हो जाता है, पर खुशी नही होती, चिंता होती है,
सोचता है जब नौकरी लग जाएगी तो खुशियां मिलेगी, नौकरी भी मिल जाती है, फिर
भी वह आगे सोचता है ,प्रमोशन होने पर खुशिया मिलेगी पर उसे और आगे की
चिंता होती है । वह हमेशा भविष्य की खुशियॉं पाने में लगा रहता है और
वर्तमान की खुशियों को व्यर्थ जाने देता है, वह कभी यह नहीं समझ पाता कि
खुशियॉं कहीं बाहर नहीं , किसी भविष्यव में नहीं बल्कि अभी है, यहीं है,
उसके अंदर है, उसके अंतर्मन की शांति मे है, और इस खुशी को लगातार महसूस
कराने वाला माध्यम ही ध्यान है । योग का अर्थ है – आत्माा को परमात्मा से
जोड़ना । ध्यान में जाकर ही इस कार्य को किया जा सकता है ।
संत कबीरदास ने कहा है – “ तेरा साई तुज्झ मे, ज्यों पुहुपन मे वास ।“
ज्ञानमार्गी शाखा के इतने बड़े संत यह बात
यूं ही नहीं कह गए हैं। सच है हमारे शरीर के अंदर विराजमान आत्मा, उस
परमात्मा का ही एक अंश है, तो जब परमात्मा सर्वज्ञ हैं, सर्वव्यापी हैं,
सर्वशक्तिशाली हैं, तो हम क्यों नहीं। जिस प्रकार हीरे का एक टुकड़ा भी
परमाणु सरंचना में बड़े हीरे के समान ही होगा, ठीक वैसे ही उस परमात्मा की
शक्तियाँ भी हमारे अंदर है, जरूरत है उसे जानने की, जिसने जाना वो ही उसका
उपयोग कर सकता है, अन्यथा एक अज्ञानी की तरह वह हीरे को बस एक चमकदार पत्थर
समझकर फेंक देगा। इन शक्तियों को ध्यान मे जाकर ही जाना जा सकता है।
ध्यान में जाने के लिए हमें बाहरी दुनिया
के शोरगुल से हटकर अपने अन्तर्मन की आवाज को सुनना होगा। अब अन्तर्मन की
आवाज कैसे सुनी जाय, बहुत आसान है, अगर हम बाहर की आवाजों को सुनना बंद कर
दे तो जो आवाज रह जाएगी वही अन्तर्मन की आवाज है और इसे सुनना ही ध्यान या
समाधी है। किन्तु बाहर की आवाज के साथ-साथ कुछ आवाजें या कहिए शोरगुल हमारे
अंदर भी चल रही होती है। आपने आँख और कान तो बंद कर लिया पर दिमाग का
सोचना अब भी जारी है- “कल ऑफिस जल्दी जाना है, घर का राशन खत्म हो गया,
पत्नी को आज बाहर खाने पर ले जाना है “ आदि आदि बातें जो हमारा ध्यान अपनी
ओर भटकाती है किन्तु इसे दूर करना भी कठिन नहीं। जब आप अपने कान बंद करते
है, तो आपको दो आवाजें सुनाई देगी, एक आपके धड़कन की और दूसरी साँसो की । इन
दो के अलावा एक तीसरी आवाज भी है और हमे अपना ध्यान उसी आवाज की ओर
केन्द्रित करना है । यह आवाज बिलकुल झिंगुर की तरह होती है, यकीन नहीं आता,
तो आप करके देखियेगा । धीरे धीरे आपको अन्य आवाज़े भी सुनाई देगी जो आरंभ
मे तो तेज न होने के कारण सुनाई नहीं देगी पर जैसे- जैसे आप ध्यान करते
जाएंगे ये आवाज़े स्पष्ट होती जाएंगी, कभी आप धीमी गति से बह रहे नदी के जल
प्रवाह की आवाज सुनेंगे तो कभी रिमझिम गिरती बारिश के बूंदों की । वे सारी
आवाजें जो आप बाहर की दुनिया मे सुनते है, आप को अपने अंदर भी सुनाई देंगी
और धीरे धीरे कब आप आत्म- अनुभूति (Self Realization) की ओर कदम बढ़ा चुके
होंगे आपको पता भी नहीं चलेगा।
अब हम ध्यान लगाने की विधि देखेंगे । पर
याद रहे, ध्यान मे जाना एक मजेदार कार्य होना चाहिए ना की एक यातना देने
वाला (Meditation should not be a torture, it should be a fun)। जैसे आपने
कभी सुना होगा , दोनों भौहों के बीच ध्यान लगाना चाहिए किन्तु थोड़ी देर
बाद ही इससे सर दर्द होने लगता है और हम कुछ मिनट बाद ऊब जाते है ।
ध्यान लगाने के लिए निम्न प्रक्रिया का पालन करें :-
1. एक आरामदायक व शांत जगह का चुनाव करें ,
जो कोलाहल से दूर हो और जहाँ आप आराम से बैठ सकें । आप पालथी मारकर भी बैठ
सकते या फिर कुर्सी पर बैठे बैठे भी ध्यान लगा सकते है।
2. आँखें बंद हो और कानो मे ईयर प्लग लगाए
किसी भी दवा दुकान मे 15 रुपये की कीमत मे नारंगी रंग का ईयर प्लग खरीद
लें,न मिलने पर रुई का उपयोग भी कर सकते हैं।
3. दस लंबी साँसे ले धीरे धीरे, आराम से
और गहरी साँस ले और उसी तरह आराम से साँस छोंड़े । साँस छोड़ते समय दस से एक
की उल्टी गिनती गिनें, याद रहे गिनती सिर्फ साँसे छोड़ते समय गिने, लेते समय
नहीं।
4. अपने अंदर की आवाज पर ध्यान केन्द्रित
करें मस्तिष्क में चल रही आवाजों को सिर्फ सुनें, उनका विश्लेषण कदापि न
करे, सुननें की चाहत भी न करें, वो खुद सुनाई देंगी, मन शांत रखें।
5. अपनी सोच को भटकने न दें अगर कभी सोच
भटकती है, तो परेशान न हो, खीझे नहीं, प्यार से मुस्कुराकर उन्हे वापस अपनी
ओर ले आइये। वैसे भी एक बार आपको मस्तिष्क में चल रही आवाज़े सुनाई देने
लगी तो खुद –ब-खुद अपना का ध्यान वापस वहीं आ जाएगा और आपका दिमाग बाहरी
बातों को सोचना बंद कर देगा।
ये तो रहा ध्यान का तरीका, पर इसका उचित
प्रतिफल जल्दी पाने के लिए आपको अपने शरीर को निर्मल और स्वच्छ करना होगा ।
दो तरह से यह किया जा सकता है, पहला अपने शरीर को बाहर से निर्मल करना
होगा( detoxification), इसके लिए आप Oil Pulling, जिसका गूगल पर विस्तार से
उल्लेख है, कर सकते हैं, सुबह उठकर हल्के गरम जल मे नींबू-नमक डालकर पिये,
नियमित रूप से व्यायाम करिए, शारीरिक खेलो में हिस्सा लीजिये, जितना हो
सके अपने आप को सक्रिय रखिए। ये तो हुआ बाहर से स्वच्छ रखना, शरीर की
अंदरूनी सफाई यानि विचारों को स्वच्छ रखने के लिए, अच्छी पुस्तकें पढें,
मंदिर , मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा जहां भी आपके मन को शांति मिलती हो,
वहाँ जाएँ, अच्छी विचारधारा वाले लोगों के साथ मिलें अच्छी भाषा का व्यवहार
करें, अच्छा सोचें। इससे आपको अपना लक्ष्य प्राप्त करने मे काफी सहायता
मिलेगी।
ध्यान की विधियां
ND
विशेष : ध्यान की हजारों विधियां हैं। भगवान शंकर ने माँ पार्वती को 112 विधियां बताई थी जो 'विज्ञान भैरव तंत्र' में संग्रहित हैं। इसके अलावा वेद, पुराण और उपनिषदों में ढेरों विधियां है। संत, महात्मा विधियां बताते रहते हैं। उनमें से खासकर 'ओशो रजनीश' ने अपने प्रवचनों में ध्यान की 150 से ज्यादा विधियों का वर्णन किया है।
1- सिद्धासन में बैठकर सर्वप्रथम भीतर की वायु को श्वासों के द्वारा गहराई से बाहर निकाले। अर्थात रेचक करें। फिर कुछ समय के लिए आंखें बंदकर केवल श्वासों को गहरा-गहरा लें और छोड़ें। इस प्रक्रिया में शरीर की दूषित वायु बाहर निकलकर मस्तिष्क शांत और तन-मन प्रफुल्लित हो जाएगा। ऐसा प्रतिदिन करते रहने से ध्यान जाग्रत होने लगेगा।
2- सिद्धासन में आंखे बंद करके बैठ जाएं। फिर अपने शरीर और मन पर से तनाव हटा दें अर्थात उसे ढीला छोड़ दें। चेहरे पर से भी तनाव हटा दें। बिल्कुल शांत भाव को महसूस करें। महसूस करें कि आपका संपूर्ण शरीर और मन पूरी तरह शांत हो रहा है। नाखून से सिर तक सभी अंग शिथिल हो गए हैं। इस अवस्था में 10 मिनट तक रहें। यह काफी है साक्षी भाव को जानने के लिए।
3- किसी भी सुखासन में आंखें बंदकर शांत व स्थिर होकर बैठ जाएं। फिर बारी-बारी से अपने शरीर के पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक अवलोकन करें। इस दौरान महसूस करते जाएं कि आप जिस-जिस अंग का अलोकन कर रहे हैं वह अंग स्वस्थ व सुंदर होता जा रहा है। यह है सेहत का रहस्य। शरीर और मन को तैयार करें ध्यान के लिए।
4. चौथी विधि क्रांतिकारी विधि है जिसका इस्तेमाल अधिक से अधिक लोग करते आएं हैं। इस विधि को कहते हैं साक्षी भाव या दृष्टा भाव में रहना। अर्थात देखना ही सबकुछ हो। देखने के दौरान सोचना बिल्कुल नहीं। यह ध्यान विधि आप कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं। सड़क पर चलते हुए इसका प्रयोग अच्छे से किया जा सकता है।
देखें और महसूस करें कि आपके मस्तिष्क में 'विचार और भाव' किसी छत्ते पर भिनभिना रही मधुमक्खी की तरह हैं जिन्हें हटाकर 'मधु' का मजा लिया जा सकता है।
उपरोक्त तीनों ही तरह की सरलतम ध्यान विधियों के दौरान वातावरण को सुगंध और संगीत से तरोताजा और आध्यात्मिक बनाएं। चौथी तरह की विधि के लिए सुबह और शाम के सुहाने वातावरण का उपयोग करें।
- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
मेडिटेशन
यानी ध्यान न सिर्फ अध्यात्म से जुड़ा है बल्कि ये विज्ञान से भी जुड़ा
है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर को फायदा होता है, यह बात विज्ञान ने भी
स्वीकार किया है और वैज्ञानिक शोधों के जरिये इन बातों की पुष्टि हुई है
कि नियमित मेडिटेशन करने से दिमाग स्वस्थ होता है और याद्दाश्त बढ़ती
है। साथ ही यह शरीर को स्थिर कर मजबूत बनाता है। तो अब न केवल अध्यात्मिक
कारणों से बल्कि वैज्ञानिक कारणों से भी मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या में आप
जरूर शामिल करें।
व्यक्तित्व के विकास में सहायक
पेनीसिल्वेनिया विश्विविद्यालय के
शोधकर्ताओं द्वारा किए गये एक शोध के अनुसार, मेडिटेशन व्यक्तित्व के
विकास में सहायक होता है। इस शोध के अनुसार, मेडिटेशन द्वारा मस्तिष्क को
तीन चरणों में एकाग्रचित किया जा सकता है। साथ ही सक्रिय रहते हुए
मस्तिष्क को प्रत्येक बिंदु पर क्रियाशील बनाया जा सकता है। इस शोध के
दौरान प्रतिभागियों को एक महीने तक 30 मिनट की मेडिटेशन करने के लिए कहा
गया। एक महीने के पश्चात उनके मस्तिष्क की क्रियाओं को मापा गया और उनकी
मानसिक गतिविधियों का निरीक्षण किया गया। इस शोध के निष्कर्ष स्वरूप इन
प्रतिभागियों के मस्तिष्क और व्यवहार में काफी सकारात्मक परिवर्तन सामने
आए।
तनाव कम करने में मददगार
योग गुरु सदियों से इस बात को मानते हैं
कि महज एक महीने के मेडिटेशन से दिमागी को दुरुस्त किया जा सकता है। लेकिन
हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने भी उनकी बातों को माना है। अध्ययन से पता
चला है कि मेडिटेशन के जरिये कई दिमागी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने यूनिवर्सिटी के छात्रों के दो समूह पर किए गए
अध्ययन में पाया कि महज चार हफ्तों के प्रशिक्षण से उनके दिमाग में अहम
बदलाव आया। उनके दिमाग का नर्व फाइबर घना हुआ और दिमाग से ज्यादा संकेत
मिलने शुरू हो गए।
अध्ययन के दौरान मस्तिष्क के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले हिस्से में भी अच्छे बदलाव पाये गये। इस हिस्से में नसों की खराब गतिविधियां ही दिमागी बीमारियों यानी एकाग्रता में कमी, डिमेंशिया, अवसाद और सिजोफ्रेनिया का कारण बनती हैं। इसके अलावा जर्नल हेल्थ साईकोलॉजी में हाल ही में हुए शोध के अनुसार मेडिटेशन से तनाव मुक्ति और शांति पाने का सबसे कारगर उपाय है। मेडिटेशन से शरीर से कोर्टिसोल नामक हार्मोंन का स्राव सही मात्रा में होता है, जिससे आपका दिमाग शांत रहता है और आपको तनाव मुक्त रहने में मदद मिलती है।
अध्ययन के दौरान मस्तिष्क के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले हिस्से में भी अच्छे बदलाव पाये गये। इस हिस्से में नसों की खराब गतिविधियां ही दिमागी बीमारियों यानी एकाग्रता में कमी, डिमेंशिया, अवसाद और सिजोफ्रेनिया का कारण बनती हैं। इसके अलावा जर्नल हेल्थ साईकोलॉजी में हाल ही में हुए शोध के अनुसार मेडिटेशन से तनाव मुक्ति और शांति पाने का सबसे कारगर उपाय है। मेडिटेशन से शरीर से कोर्टिसोल नामक हार्मोंन का स्राव सही मात्रा में होता है, जिससे आपका दिमाग शांत रहता है और आपको तनाव मुक्त रहने में मदद मिलती है।
रोगों से बचाव
डेविड क्रेज्वेल, एसिटेंट प्रोफेसर
साइकोलोजी द्वारा किये गए हाल के शोध के अनुसार, जहां मेडिटेशन से मन और
मस्तिष्क को नई उर्जा मिलती है वहीं दूसरी ओर इससे हमारे शरीर को भी लाभ
मिलता है। मेडिटेशन से हमारे शरीर में नयी शक्ति का संचार होता है। और इस
शक्ति के कारण हम स्वयं को पहले से अधिक स्वस्थ महसूस करने लगते हैं।
इसके अलावा मेडिटेशन से उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है। सिरदर्द दूर होता
है।
शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, जिससे बीमारियों से लड़ने की हमारी क्षमता में इजाफा होता है। मेडिटेशन से शरीर में स्थिरता बढ़ती है जिससे शरीर मजबूत होता है। क्रेज्वेल का मानना है कि बुजुर्गों में अकेलापन उनके स्वास्थ्य के लिए धूम्रपान के समान ही खतरनाक है और एक बड़ी समस्या भी है। इस अध्ययन से यह बात साबित हुई है कि ध्यान, बुजुर्गों में होनेवाले अकेलेपन के अहसास को कम करने में मददगार होता है जिससे उन्हें एल्जाइमर, डायबिटीज जैसी अन्य कई स्थितियों से मुकाबला करने बड़ी मदद मिलती है।
इस तरह से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने वाली प्राचीन विधि को अब वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है।
शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, जिससे बीमारियों से लड़ने की हमारी क्षमता में इजाफा होता है। मेडिटेशन से शरीर में स्थिरता बढ़ती है जिससे शरीर मजबूत होता है। क्रेज्वेल का मानना है कि बुजुर्गों में अकेलापन उनके स्वास्थ्य के लिए धूम्रपान के समान ही खतरनाक है और एक बड़ी समस्या भी है। इस अध्ययन से यह बात साबित हुई है कि ध्यान, बुजुर्गों में होनेवाले अकेलेपन के अहसास को कम करने में मददगार होता है जिससे उन्हें एल्जाइमर, डायबिटीज जैसी अन्य कई स्थितियों से मुकाबला करने बड़ी मदद मिलती है।
इस तरह से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने वाली प्राचीन विधि को अब वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है।
प्रार्थना और मेडिटेशन में क्या है अंतर
मेडिटेशन और
प्रार्थना ध्यान एक दूसरे के न तो पर्याय हैं और न ही एक दूसरे के पूरक।
ध्यान और प्रार्थना में अंतर है। ध्यान के जरिये आप अपने अवचेतन मन को
शांत करते हैं जबकि प्रार्थना के जरिये आप अदृश्य शक्ति से ऊर्जा प्राप्त
करते हैं। प्रार्थना को दैवीय शक्ति से भी जोड़ा जाता है। प्रार्थना और
मेडिटेशन में जो सबसे बड़ा अंतर है वह यह कि प्रार्थना में ईश्वर को स्वयं
से अलग माना जाता है और मेडिटेशन में स्वयं को ईश्वरीय अंश माना जाता है।
इस लेख में विस्तार से जानें प्रार्थना और मेडिटेशन में अंतर।
मेडिटेशन क्या है
मेडिटेशन यानी ध्यान स्वास्थ्य लाभ
प्राप्त करने बहुत प्राचीन विधि है। नियमित इसका अभ्यास करने के कई
स्वास्थ्य लाभ हैं। यह बहुत ही आसान तकनीक है। यह आपके मस्तिष्क को शांत
और स्थिर रखने में मदद करती है। इसके लिए आपको सिर्फ अपनी आंखें बंद करके
बैठना है, और धीरे-धीरे गहरा आराम अनुभव होगा। शुरुआत में थोड़ी समस्या
होगी, यानी ध्यान केंद्रित करने में आप असफल रहेंगे लेकिन बाद में आप अपने
मन पर काबू कर लेंगे।
ध्यान हमें सिर्फ मानसिक शांति नहीं प्रदान
करता बल्कि इससे इससे एलर्जी, उत्तेजना, अस्थमा, कैंसर, थकान, हृदय संबंधी
बीमारियों, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा आदि में आराम मिलता है। कई
मनोवैज्ञानिक बीमारियों से भी राहत दिलाने में मेडिटेशन बहुत महत्वपूर्ण
भूमिका निभाता है।
प्रार्थना क्या है
प्रार्थना के जरिये हम अपने अनुभवों को
बांटते हैं। यह हमारे आंतरिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है,
क्योंकि प्रार्थना हमारे महत्वपूर्ण वैयक्तिक बदलाव का बुनियादी केंद्र
होती है। जब हम प्रार्थना करते हैं तो यह स्वीकारते हैं कि कोई तो है, जो
हम सबको अस्तित्व में रखे हुए है।
जब हम प्रार्थना करते हैं तो
अपने अहम को दूर करते हैं। इससे हमारे मन से कलुषित विचार दूर होते चले
जाते हैं। प्रार्थनाएं हीलिंग टच का काम करती हैं। ये हमें बल देती हैं,
संबल देती हैं, इनसे ऊर्जा मिलती है। हमारे शरीर को डिटॉक्सीफिकेशन करती
हैं। प्रार्थना से हमारा शरीर स्वस्थ, पवित्र, आनंदित और तरोताजा हो जाता
है।
मेडिटेशन और प्रार्थना के फायदे
- इन दोनों प्रक्रियाओं से मन को शांति मिलती है और जीवन में संतुलन बनाने में आसानी होती है।
- इससे हमारे मन यानी आत्म जागरूकता बढ़ती है, यह हमें ध्यान को केंद्रित करना सिखाती हैं।
- सामान्य जीवन यापन के लिए सकारात्मक होना बहुत जरूरी है, इनसे नकारात्मक भावनाओं को दूर करने में मदद मिलती है।
- इनसे मानसिक क्षमता बढ़ती है और शरीर के साथ दिमाग को आराम मिलता है।
- तनाव और अवसाद दूर करने के लिए मेडिटेशन की शरण में जायें।
- निर्णय लेने की क्षमता को ये बेहतर बनाती हैं, ये खुद पर नियंत्रण रखना सिखाती हैं।
क्या है मेडिटेशन की हांग-साओ तकनीक
हांग-साओ मेडिटेशन की एक ऐसी तकनीक है जो
व्यक्ति के अंदर छिपी एकाग्रता की शक्ति को विकसित करती है। इस तकनीक का
अभ्यास करके व्यक्ति बाहरी विकर्षण से ध्यान हटाने का तरीका सीखता है, ताकि
वह किसी एक लक्ष्य पर ध्यान लगा पाए या किसी समस्या को हल कर पाए।
हांग-साओ मेडिटेशन करने से व्यक्ति को तुरंत आंतरिक शांति महसूस होती है।
इस तकनीक की खासियत ये है कि आप इसे किसी भी वक्त और कहीं भी कर सकते हैं।
आप किसी का इंतज़ार कर रहे हों, खाली वक्त में बैठे हों या ऑफिस के में
ब्रेक टाइम हो, आप इस तकनीक का अभ्यास कर सकते हैं।
क्या है हांग-साओ का मतलब
"हांग" और "साओ" संस्कृत के पवित्र शब्द हैं। हॉन्ग साओ का अर्थ होता है
"मैं आत्मा हूं"। इन शब्दों का सांस के आने और जाने के साथ कंपन का संबंध
है। इन शब्दों का सांस पर शांतिपूर्ण प्रभाव पड़ता है। सांस और मन में
परस्पर संबंध है। शांत सांसें अपने आप मन को शांत कर देती हैं। जबकि अशांत
सांसें मन को अशांत करती हैं। सांस पर केवल ध्यान लगाने से वो शांत होना
शुरू हो जाती है। हांग-साओ एक मंत्र है। ये बहुत आसान है।
हांग-साओ मेडिटेशन की विधि
- आरामदायक मुद्रा में, कमर सीधी करके बैठ जाएं।
- आंखें बंद रखें और ध्यान को आईब्रो के बीच माथे पर लगाएं।
- धीरे धीरे 8 तक गिनते हुए सांस अंदर लें। फिर इतनी ही देर के लिए सांसें रोक कर रखें। इस दौरान ध्यान माथे के बीच में ही रहे।
- अब धीरे धीरे 8 तक गिनते हुए सांस बाहर छोड़ें। इस प्रक्रिया को तीन से छह बार दोहराएं।
- इस प्रक्रिया को परा करने के बाद, जो अगली सांस अंदर लें, मन में कहें "हांग"। इसे इस तरह बोलें कि लगे गा रहे हो।
- फिर जब सांस बाहर निकालें तो इसी तरह से कहें, "साओ"।
- इस दौरान अपनी सांसों को नियंत्रित करने का जबरदस्ती प्रयास न करें, इसे पूरी तरह से प्राकृतिक रहने दें।
- ऐसा महसूस करने की कोशिश करें कि आपकी श्वसन प्रक्रिया से हॉन्ग और साओ की ध्वनि आ रही है।
- शुरूआत में सांस को नासिका छिद्र से प्रवेश करने के दौरान महसूस करें।
- जितना संभव हो सतर्क रहने की कोशिश करें। अगर आपको सांस महसूस करने में मुश्किल हो रही है तो आप सांस लेने की प्रक्रिया पर कुछ देर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। अपने पेट और छाती को फूलते और सिकुड़ते महसूस करें।
- धीरे-धीरे जब आप और शांत हो जाएं तो सांस को नाक में अधिक से अधिक महसूस करने की कोशिश करें। अपना ध्यान माथे पर ही रखें, आंखों को सांस की गति की ओर न भटकने दें।
योगानंद के अनुसार, एक घंटा हांग-साओ पूरे 24 घंटे के मेडिटेशन और प्रार्थना के बराबर शांति देता है।
मेडिटेशन के पांच विभिन्न प्रकार
ध्यान आपके तन और मन दोनों को स्वस्थ
और सुंदर बनाने में मदद करता है। मेडिटेशन को चिकित्सकों के जीवन में
महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करने के लिए सिद्ध किया गया है।
यहां नीचे सूचीबद्ध मे मेडिटेशन के पांच विभिन्न तकनीके दी गई है जो आप
के शरीर के साथ साथ एक स्वस्थ मन के खजाने के रूप में पूरी पहचान दे सकती
है।
सांस का अवलोकन(देखरेख)
मेडिटेशन के किसी भी तकनीक में सबसे महत्वपूर्ण साँस लेना है या व्यक्ति
की सांस की निगरानी करना है। सांस अवलोकन के रूप में सरल कुछ मिनटों से
कुछ सेकंड के बहुत कम अवधि के लिए आपकी सास पर ध्यान दे। सांस अवलोकन
मेडिटेशन तकनीक के साथ शुरू करने के लिए, सपाट सतह पर बैठें। याद रखें
आसपास का माहौल शांत और निर्मल हो। सीधे बैठो और अपने हाथो को अपने घुटनों
पर रखें।
गहरी सांस लें और धीरे धीरे सांस को छोड़ें। अपनी नाक से सांस लें चूंकि
यह ऑक्सीजन फेफड़ों के नीचे तक सभी जगल ले जाती है। यदि आपके मन अपने
मेडिटेशन सत्र के दौरान पहले कुछ समय के लिए भटक रहा है, अपने सांस लेने के
तरीके पर अपना ध्यान फिर से करें और जब तक आप इस करने में सहज हो तब तक यह
मेडिटेशन करें।
एक शांत मन(फ्री माइँड) के साथ मेडिटेशन
कई विशेषज्ञों या रेग्युलर चिकित्सकों के लिए मेडिटेशन, मन से सभी
विचारों को खाली करने का एक स्रोत है। हालांकि, ऐसा करने के लिए, सपाट सतह
पर धैर्य रखते हुए आपकी पीठ सीधा और आंखों को बंद करने के साथ बैठना होता
है। फिर दिमाग को शांत करें। यह प्रारंभ करने वालो के लिए मेडिटेशऩ विशेष
रूप से कठिन हो सकता है क्योंकि मन पर किसी भी तरह का एक प्रयास, तकनीक के
गलत अभ्यास के कारण हो सकता है। बस धैर्य रखे और अपना आराम से अभ्यास
करें।
वॉकिंग मेडिटेशन
वाकिंग मेडिटेशन अभ्यासकर्ता को उसके या उसके शरीर का पूरी तरह से उपयोग
करने की आवश्यकता है। यह बाहर या एक कमरे के अंदर किया जा सकता है। जब आप
चलना शुरू करें, जिस और आपका शरीर चलता है, ध्यान दे और आपके पैर केसे
संकुचित होते है जब यह जमीन के संपर्क में आते है। चलते समय, अपनी सांस पर
भी ध्यान दे। यदि आप अपने घर के बाहर वाकिंग मेडिटेशन तकनीक का प्रयोग करने
की योजना बना रहे हैं, एक जगह को सुनिश्चित करें जो शहरी जीवन की हलचल से
दूर हो। मेडिटेशन के स्वास्थ्य लाभ अपरिमित हैं।
सचेत होकर(माइंडफुलनेस) व्यायाम
माइंडफुलनेस व्यायाम को अंतर्दृष्टि मेडिटेशन भी कहा जाता है।
माइंडफुलनेस व्यायाम में, आप सभी जागरूकता बढ़ाने के लिए, जो आप के चारों
ओर हो रहा है, मेडिटेशन करते है, आप अपनी सांस लेने के पैटर्न पर ध्यान
केंद्रित कर सकते है। धीरे धीरे, विचार से बाहर आए जो अपने मन परेशान कर
सकते है और क्या आपके शरीर और मन का क्षेत्र दायरे से बाहर जा रहा है, पर
ध्यान केंद्रित करें। यह मेडिटेशन तकनीक की कुंजी से देखे और बिना पहचानने
या विश्लेषण करें सुने कि क्या देखा या सुना जा रहा है।
सरल मंत्र मेडिटेशन
मंत्र मेडिटेशन, मेडिटेशन का सबसे आसान तरीकों में से एक माना जाता है
चूंकि यह आप को सिर्फ एक वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने के द्वारा आपको सभी
विचारों से दूर ले जाता है। मंत्र जाप लोगों की बहुत मदद करते है, जो इस
तकनीक का अभ्यास करना चाहते हैं। एक अनुभवी मास्टर जो एक नियमित मेडिटेशऩ
दिनचर्या से अपनी अपेक्षाओं को समझता है, आमतौर पर मंत्रों का चयन करता है।
हालांकि इस मेडिटेशन को करते हुए, या तो आप मंत्र जोर से या अपने मन में
उच्चारण करने के लिए चुन सकते हैं।
कई अन्य प्रकार के मेडिटेशन
तकनीक भी अच्छी तरह से उपलब्ध हैं, लेकिन उनका नियमित रूप से अभ्यास किया
जाना चाहिए। हालांकि, यह समझना चाहिए कि इन तकनीकों को आम तौर पर कुछ
स्थितियों के अनुरूप करने में उपयोग किया जाता है।
OSHO Kundalini Meditation
एक घंटे की अवधि के इस ध्यान के चार चरण हैं, पहले तीन संगीत के साथ और अंतिम चरण बिना संगीत के।
कुंडलिनी ध्यान-विधि ऊर्जा-स्नान का कार्य करती है। यह कोमल कंपन से आपको आपकी दिनचर्या के बोझ से मुक्त करके तरोताज़ा कर जाती है।
प्रथम चरण: 15 मिनट
स्वयं
को ढीला छोड़ दें और शरीर में कंपन होने दें। अनुभव करें कि ऊर्जा पांवों
से ऊपर की ओर बह रही है। जो हो रहा है होने दें और कंपन मात्र हो जायें। आप
अपनी आँखें खुली या बंद रख सकते हैं।
“कंपन होने
दें। इसे आरोपित न करें। शांत खड़े रहें, कंपन को आता महसूस करें और जब
शरीर कंपने लगे तो उसको सहयोग दें पर उसे स्वयं से न करें। उसका आनंद लें,
उससे आल्हदित हों, उसे आने दें, उसे ग्रहण करें, उसका स्वागत करें, परंतु
उसकी इच्छा न करें।
“यदि आप इसे आरोपित करेंगे तो यह एक व्यायाम
बन जायेगा, एक शारीरिक व्यायाम बन जायेगा। फिर कंपन तो होगा लेकिन बस
ऊपर-ऊपर, वह तुम्हारे भीतर प्रवेश नहीं करेगा। भीतर आप पाषाण की भांति,
चट्टान की भांति ठोस बने रहेंगे; नियंत्रक और कर्ता तो आप ही रहेंगे, शरीर
बस अनुसरण करेगा. प्रश्न शरीर का नहीं है – प्रश्न हैं आप।
“जब
मैं कहता हूं कंपो, तो मेरा अर्थ है आपके ठोसपन और आपके पाषाणवत प्राणों को
जड़ों तक कंप जाना चाहिये ताकि वे जलवत तरल होकर पिघल सकें, प्रवाहित हो
सकें। और जब पाषाणवत प्राण तरल होंगे तो आपका शरीर अनुसरण करेगा। फिर
कंपाना नहीं पड़ता, बस कंपन रह जाता है। फिर कोई उसे करने वाला नहीं है, वह
बस हो रहा है। फिर कर्ता नहीं रहा।” ओशो
दूसरा चरण: 15 मिनट
जैसे भी चाहें नृत्य करें और अपने शरीर को इच्छानुसार गति करने दें। आपकी आंखे खुली या बंद रह सकती हैं।
तीसरा चरण: 15 मिनट
आँखें बंद कर लें और खड़े या बैठे हुए स्थिर हो जायें। अंदर और बाहर जो भी घट रहा है उसके प्रति सजग और साक्षी बनें रहें।
चौथा चरण: 15 मिनट
आँखें बंद रखे हुए लेट जायें और स्थिर रहें। साक्षी बने रहें।
OSHO Dynamic Meditation
एक घंटे की अवधि के सक्रिय ध्यान के पांच चरण हैं। यह अकेले भी किया
जा सकता है। और यदि इसे समूह में किया जाये तो यह और भी सशक्त हो जाता है।
यह आपका निजी अनुभव है अत: आप अपने आस-पास दूसरे व्यक्तियों को भूल जायें
और पूरा समय आँखें बंद रखें। बेहतर होगा यदि आप आँख पर पट्टी बांध लें। इसे
खाली पेट व ढीले वस्त्रों में करना श्रेयस्कर होगा।
“इस
ध्यान में आपको पूरा समय सजग, होशपूर्ण व सचेत रहना होगा। साक्षी बनें
रहें। भटक मत जायें। जब आप तीव्र श्वास ले रहे हैं तो संभव है आप भूल जायें
- श्वास के साथ इतना तादात्मय कर लें कि साक्षी होना भूल जायें। तब आप चूक
गये।
“तीव्र से तीव्र श्वास लें, गहरे से गहरा;
अपने पूरे प्राण लगा दें। जो भी घट रहा है उसे ऐसे देखें जैसे आप मात्र
दर्शक हैं, जैसे यह सब किसी और को घट रहा हो, जैसे यह सब शरीर में घट रहा
हो। चेतना के केंद्र पर साक्षी बनें रहें।
“साक्षी
को तीनों चरणों तक लेकर जाना है और जब सब रुक जाता है तो चौथे चरण में आप
पूर्णतया शिथिल हो जाते हैं, थम जाते हैं और आपकी सजगता अपने चरम शिखर को
छू लेती है।”
प्रथम चरण : 10 मिनट
नाक
से अराजक श्वास लें और ज़ोर हमेशा श्वास बाहर फेंकने पर हो। शरीर स्वयं
श्वास भीतर लेने की चिंता ले लेगा। श्वास फेफड़ों तक गहरी जानी चाहिये।
श्वास जितनी शीघ्रता से ले सकें, लें और ध्यान रहे कि श्वास गहरी रहे। इसे
यथाशक्ति अपनी अधिकतम समग्रता से करें - और फिर थोड़ी और शक्ति लगायें, जब
तक कि आप वस्तुत: श्वास ही न हो जाएं। ऊर्जा को ऊपर ले जाने के लिये अपनी
स्वाभाविक दैहिक क्रियाओं को प्रयोग में लायें। ऊर्जा को बढ़ता हुआ अनुभव
करें परंतु पहले चरण में अपने को ढीला मत छोड़ें।
दूसरा चरण : 10 मिनट
विस्फोट
हो जाएं! उस सब को अभिव्यक्त करें जो बाहर फेंकने जैसा है। पूर्णतया पागल
हो जायें। चीखें, चिल्लाएं, रोएं, कूदें, शरीर हिलायें-डुलायें, नाचें,
गाएं, हंसें; स्वयं को खुला छोड़ दें। कुछ भी न बचाएं; अपने पूरे शरीर को
प्रवाहमान होने दें। कई बार थोड़ा सा अभिनय भी आपको खुलने में सहायता देता
है। जो भी हो रहा है उसमें मन को हस्तक्षेप करने की अनुमति न दें। समग्र हो
रहें, पूरे प्राण लगा दें, जान लगा दें।
तीसरा चरण: 10 मिनट
पूरा
समय अपने बाजू ऊपर उठा कर रखें और जितनी गहराई से संभव हो "हू! हू! हू!"
की ध्वनि करते हुए ऊपर नीचे कूदें । प्रत्येक बार जब आपके पांव धरती पर
आयें तो पूरे पांव के तलवे को धरती को छूने दें, ताकि ध्वनि आपके
काम-केंद्र पर गहराई से चोट कर सके। आप अपना सर्वस्व लगा दें, कुछ भी पीछे
बचायें नहीं।
वीडियो में आप तीसरे और चौथे चरण की झलक देख पाते हैं।
चौथा चरण: 15 मिनट
रुक
जायें! जहाँ भी, जिस स्थिति में भी स्वयं को पायें, उसी में स्थिर हो
रहें। शरीर को किसी तरह से भी संभालें नहीं। खांसी अथवा कोई भी क्रिया -
कुछ भी, आपकी ऊर्जा की गति में बिखराव ले आयेगा और आपका अब तक का पूर्ण
प्रयास व्यर्थ चला जायेगा। जो भी आपके साथ घट रहा है उसके प्रति साक्षी
रहें।
डैमो देखें: ऊपर तीसरे चरण की वीडियो झलक देखें।
पांचवां चरण: 15 मिनट
अस्तित्व के प्रति अपना अनुग्रह प्रगट करते हुए नृत्य करें, उत्सव मनायें। इस अनुभव को दिन भर की अपनी चर्या में फैलने दें।
यदि
उस स्थान पर जहाँ आप ध्यान कर रहे हैं, शोर करना मना है तो इसे चुपचाप
करने का विकल्प इस प्रकार है: आवाजों को बाहर फेंकने की बजाय दूसरे चरण में
अपना रेचन शारीरिक मुद्राओं द्वारा करें। तीसरे चरण में “हू” ध्वनि की चोट
अपने भीतर ही करें।
विपश्यना भारत की एक अत्यंत पुरातन साधनाओंमेंसे एक ध्यान प्रणाली विधि है। जिसका अर्थ जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देखना-समझना है। लगभग २५०० वर्ष पूर्व भारत में यह पद्धति एक सार्वजनीन रोग के सार्वजनीन इलाज, अर्थात् जीवन जीने की कला, के रूप में सिखाया गया। जिन्हें विपश्यना साधना की जानकारी नहीं है, उनके लिए आचार्य गोयन्काजी द्वारा विपश्यना का परिचय विडियोमें एवं प्रश्न एवं उत्तर उपलब्ध है।
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